1497 LESSON 6515 WEDNESDAY
FREE ONLINE eNālandā Research and Practice UNIVERSITY
http://www.orgsites.com/oh/
गौतम बुद्ध
जन्म
५६३ ई० पू०
लुम्बिनी, नेपाल
मृत्यु
४८३ ई० पू०
कुशीनगर, भारत
व्यवसाय
राजकुमार, धर्म प्रवर्तक
गृह स्थान
कपिलवस्तु, नेपाल
प्रसिद्धि कारण
बौद्ध धर्म के प्रवर्तक
पूर्वाधिकारी
कस्सपा बुद्ध
उत्तराधिकारी
मैत्रेय
बुद्धं शरणम् गच्छामि
जो नित्य एवं स्थाई प्रतीत होता है, वह भी
विनाशी है। जो महान प्रतीत होता है, उसका भी पतन है। जहाँ संयोग है वहाँ
विनाश भी है। जहाँ जन्म है वहाँ मरण भी है। ऐसे सारस्वत सच विचारों को
आत्मसात करते हुए महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की जो विश्व के
प्रमुख धर्मों में से एक है।
विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं
दार्शनिकों में अग्रणी महात्मा बुद्ध के जीवन की घटनाओं का विवरण अनेक
बौद्ध ग्रन्थ जैसे- ललितबिस्तर, बुद्धचरित, महावस्तु एवं सुत्तनिपात से
ज्ञात होता है। भगवान बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी वन में 563
ई.पू. में हुआ था। आपके पिता शुद्धोधन शाक्य राज्य कपिलवस्तु के शासक थे।
माता का नाम महामाया था जो देवदह की राजकुमारी थी। महात्मा बुद्ध अर्थात
सिद्धार्थ (बचपन का नाम) के जन्म के सातवें दिन माता महामाया का देहान्त हो
गया था, अतः उनका पालन-पोषण उनकी मौसी व विमाता प्रजापति गौतमी ने किया
था।
सिद्धार्थ बचपन से ही एकान्तप्रिय, मननशील
एवं दयावान प्रवृत्ति के थे। जिस कारण आपके पिता बहुत चिन्तित रहते थे।
उपाय स्वरूप सिद्धार्थ की 16वर्ष की आयु में गणराज्य की राजकुमारी यशोधरा
से शादी करवा दी गई। विवाह के कुछ वर्ष बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम
राहुल रखा गया। समस्त राज्य में पुत्र जन्म की खुशियां मनाई जा रही थी
लेकिन सिद्धार्थ ने कहा, आज मेरे बन्धन की श्रृंखला में एक कङी और जुङ गई।
यद्यपि उन्हे समस्त सुख प्राप्त थे, किन्तु शान्ति प्राप्त नही थी। चार
दृश्यों (वृद्ध, रोगी, मृतव्यक्ति एवं सन्यासी) ने उनके जीवन को वैराग्य के
मार्ग की तरफ मोङ दिया। अतः एक रात पुत्र व अपनी पत्नी को सोता हुआ छोङकर
गृह त्यागकर ज्ञान की खोज में निकल पङे।
गृह त्याग के पश्चात सिद्धार्थ मगध की
राजधानी राजगृह में अलार और उद्रक नामक दो ब्राह्मणों से ज्ञान प्रप्ति का
प्रयत्न किये किन्तु संतुष्टि नहीं हुई। तद्पश्चात निरंजना नदी के किनारे
उरवले नामक वन में पहुँचे, जहाँ आपकी भेंट पाँच ब्राह्मण तपस्वियों से हुई।
इन तपस्वियों के साथ कठोर तप किये परन्तु कोई लाभ न मिल सका। इसके पश्चात
सिद्धार्थ गया(बिहार) पहुँचे, वहाँ वह एक वट वृक्ष के नीचे समाधी लगाये और
प्रतिज्ञां की कि जबतक ज्ञान प्राप्त नही होगा, यहाँ से नही हटुँगा। सात
दिन व सात रात समाधिस्थ रहने के उपरान्त आंठवे दिन बैशाख पूणिर्मा के दिन
आपको सच्चे ज्ञान की अनुभूति हुई। इस घटना को “सम्बोधि” कहा गया। जिस वट
वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था उसे “बोधि वृक्ष” तथा गया को “बोध गया”
कहा जाता है।
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध
सर्वप्रथम सारनाथ(बनारस के निकट) में अपने पूर्व के पाँच सन्यासी साथियों
को उपदेश दिये। इन शिष्यों को “पंचवगीर्य’ कहा गया। महात्मा बुद्ध द्वारा
दिये गये इन उपदेशों की घटना को ‘धर्म-चक्र-प्रवर्तन’ कहा जाता है। भगवान
बुद्ध कपिलवस्तु भी गये। जहाँ उनकी पत्नी,पुत्र व अनेक शाक्यवंशिय उनके
शिष्य बन गये। बौद्ध धर्म के उपदेशों का संकलन ब्राह्मण शिष्यों ने
त्रिपिटकों के अंर्तगत किया। त्रिपिटक संख्या में तीन हैं-
1-विनय पिटक, 2-सुत्त पिटक, 3- अभिधम्म पिटक
इनकी रचना पाली भाषा में की गई है।हिन्दू-धर्म में वेदों का जो स्थान है, बौद्ध धर्म में वही स्थान पिटकों का है।
भगवान बुद्ध के उपदेशों एवं वचनों का
प्रचार प्रसार सबसे ज्यादा सम्राट अशोक ने किया। कलिंग युद्ध में हुए
नरसंहार से व्यथित होकर अशोक का ह्रदय परिवर्तित हुआ उसने महात्मा बुद्ध के
उपदेशों को आत्मसात करते हुए इन उपदेशों को अभिलेखों द्वारा जन-जन तक
पहुँचाया। भीमराव आम्बेडकर भी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
महात्मा बुद्ध आजीवन सभी नगरों में
घूम-घूम कर अपने विचारों को प्रसारित करते रहे। भ्रमण के दौरान जब वे पावा
पहुँचे, वहाँ उन्हे अतिसार रोग हो गया था। तद्पश्चात कुशीनगर गये जहाँ
483ई.पू. में बैशाख पूणिर्मा के दिन अमृत आत्मा मानव शरीर को छोङ ब्रहमाण्ड
में लीन हो गई। इस घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ कहा जाता है। महात्मा बुद्ध के
उपदेश आज भी देश-विदेश में जनमानस का मार्ग दर्शन कर रहे हैं। भगवान बुद्ध
प्राणी हिंसा के सख्त विरोधी थे। उनका कहना था कि,
“जैसे मैं हूँ, वैसे ही वे हैं, और ‘जैसे वे हैं, वैसा ही मैं हूं। इस
प्रकार सबको अपने जैसा समझकर न किसी को मारें, न मारने को प्रेरित करें।“
भगवान् बुद्ध के सुविचारों के साथ ही मैं
अपनी कलम को विराम देना चाहूंगी , “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या
सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम
करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ
बोलता या काम करता है, तो परछाई की तरह ही प्रसन्नता उसका साथ कभी नहीं
छोडती।“
A dedication to Ambedkarite and Buddhist Mission.
Translator: Bhadant Anand Kaushalyayan
The Buddha and His Dhamma, a treatise on Lord Buddha’s life and
Buddhism, was the last work of Indian statesman and scholar Dr B R
Ambedkar. The book is treated as a holy text by Indian Buddhists. It was
first published in 1957 after Ambedkar’s death. It was again Published
in 1979 by the Education Department of the Government of Maharashtra as
the eleventh volume of Ambedkar’s collected writings and speeches, with a
list of sources and an index.
https://www.youtube.com/watch?v=kDYVfPw5Z1w
FOR
https://www.youtube.com/watch?v=I598WHb2sRQ
FOR
Gautama
is the primary figure in Buddhism, and accounts of his life,
discourses, and monastic rules are believed by Buddhists to have been
summarized after his death and memorized by his followers. Various
collections of teachings attributed to him were passed down by oral
tradition, and first committed to writing about 400 years later.
https://www.youtube.com/watch?v=pT0GnUpPCWA
for
https://www.youtube.com/watch?v=-QeS9cnguk0
for
https://www.youtube.com/watch?v=xjuuGnOfg8g
for
महामानव बुद्ध की महान विद्या, विपश्यना का उदगम और विकास (Part 4 of 4)
The Origin and Spread of Vipassana
Glimpses of Buddha’s Life , Story by S.N. Gonkaji
Vipassana Ka Udgam Aur Vikas. (Chitravali)
Buddha Jivan(Jeevan) Chitravali with Story by S.N. Goenkaji.
In Hindi, Part 4 of 4
Story by S.N. Goenka ji
Glimpses of Buddha’s Life (4 of 4)
वर्ष 624 ईसा पूर्व में, Kapilawaththu में (नेपाल) सिद्धार्थ गौतम एक राजकुमार के रूप में पैदा हुआ था। उनके पिता राजा सुद्धोदन और उसके माता रानी महामाया था। वह सोलह था जब वह अपनी शिक्षा समाप्त हो गया और वह राजकुमारी Yasodara शादी कर ली। राजा सुद्धोदन उनके बेटे सिद्धार्थ को उसके राज्य सौंप दिया। वे एक बच्चे का नाम राहुल था। राजा सिद्धार्थ 29 साल का था जब वह करना जीवन का त्याग करने का निर्णय लिया। सिद्धार्थ उसके राज्य से छोड़ दिया और वास्तविकता के परम प्रकृति का अध्ययन करने के लिए कई जाने-माने शिक्षकों के लिए चला गया। लेकिन उनकी शिक्षाओं उसे पूरा नहीं किया और वह अपने खुद के रास्ते खोजने के लिए निकल पड़े। छह साल बाद वह Neranjana नदी के पास Bodgaya के पास गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
सिद्धार्थ के मन शांत और आराम था। वह बैठे थे उसकी एकाग्रता गहरा और उसकी बुद्धि उज्जवल बढ़ी। मन की इस स्पष्ट और शांतिपूर्ण राज्य में वह जीवन की वास्तविक प्रकृति को जांच शुरू की। “दुख का कारण क्या है,” वह खुद से पूछा, “और खुशी सदा के लिए पथ क्या है?” अपने मन की आंखों में वह अब तक अपनी ही दुनिया से परे है, अब तक अपने देश से परे लग रहा था। जल्द
वह यह एहसास के रूप में, गहरी सत्य उसके दिमाग में दिखाई दिया। उसने
फिर वह दुनिया में दुख का सभी को देखा। और वह जीवित प्राणियों को अपने स्वयं के दुख और खुशी बनाने कैसे देखा। सच
जन्म: कपिलवस्तु, नेपाल
बौद्ध धर्म बुद्ध के साथ शुरू कर दिया। होने के अर्थ में ‘वास्तविकता को जगाया -’ शब्द ‘बुद्ध’ ‘जाग रहा है, जो एक’ जिसका मतलब है, एक शीर्षक है।
बुद्ध लगभग 2500 साल पहले लुम्बिनी नेपाल में सिद्धार्थ गौतम के रूप में पैदा हुआ था। वह एक देवता या एक नबी होने का दावा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि संभव गहरे तरीके से जीवन को समझने, becameAwakened जो एक इंसान था।
सिद्धार्थ भारतीय-नेपाली सीमा पर एक छोटे से राज्य के शाही परिवार में पैदा हुआ था। पारंपरिक कहानी के अनुसार वह था
एक विशेषाधिकार प्राप्त की परवरिश, लेकिन जीवन बुढ़ापा, बीमारी, और
यह जीवन का अर्थ माथापच्ची करने के लिए उसे प्रेरित किया। अंततः वह अपने महल छोड़ने के लिए और के पारंपरिक Jambudipan मार्ग का अनुसरण करने के लिए impelled महसूस किया
भटक पवित्र आदमी, सत्य के बाद एक साधक। उन्होंने कहा कि विभिन्न शिक्षकों के तहत ध्यान में बहुत निपुण हो गया, और उसके बाद तपस्वी प्रथाओं लिया।
यह एक तन को नकार द्वारा आत्मा को मुक्त कर सकता है कि इस विश्वास पर आधारित था। वह इतना कृतसंकल्प वह लगभग मौत के भूखे है कि तपस्या की।
बुद्ध की शिक्षाओं अनन्त हैं, लेकिन फिर भी बुद्ध अचूक होने के लिए उन्हें प्रचार नहीं किया था। बुद्ध का धर्म टाइम्स के अनुसार बदलने के लिए क्षमता, कोई अन्य धर्म का दावा कर सकते हैं जो एक गुणवत्ता की है …
अब बौद्ध धर्म का आधार क्या है? अगर आप ध्यान से अध्ययन, तुम बौद्ध धर्म कारण पर आधारित है कि देखेंगे। किसी भी अन्य धर्म में नहीं पाया जाता है जो उस में निहित लचीलापन, का एक तत्व है। - भीमराव रामजी अम्बेडकर,
उनके लेखन और speeches.Please में इस देश के संविधान की एक महान विद्वान, दार्शनिक और वास्तुकार Behan मायावती बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि अर्पित की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती हिस्सेदारी करने के लिए रविवार
http://heart-to-heart-teaching.org/meditation/index.html?gclid=Cj0KEQjwmqyqBRC7zKnO_f6iodcBEiQA9T996AtrEc-WrgDHEs-RQ0dVM9lkCAPiei9dM6Yl-gDnx68aAp_Y8P8HAQ
for
http://www.navayan.com/periodicals.php?lang=hindi&page=12
for
Navayan
http://www.buddhanet.net/e-learning/buddhistworld/southeast.htm
for
http://buddhambedkar.blogspot.in/2013/03/buddha-aur-unka-dharma-hindi.html
for
http://www.antioch.edu/wp-content/uploads/2011/06/Program-Book-2014-India-AEA-web.pdf
for
http://www.ijsrp.org/research-paper-0613/ijsrp-p18112.pdf
for
http://www.globalmarathi.com/BlogList.aspx?TName=Gautam%20Buddha
एकदा
छोटा सिध्दार्थ आपल्या मित्रासह राजोद्यानात बोलत बसला असता बाण
लागल्यामुळे रक्तबंबाळ झालेला एक हंस कसाबसा उडत त्याच्या पुढ्यात येऊन
पडला. सिध्दार्थने त्याला उचलले, जवळच्या पुष्करणीपाशी नेऊन पाणी पाजलं,
आणि थोडा वेळ प्रेमानं कुरवाळलं. नतंर त्यानं त्याची जखम धुवून तिच्यावर
कसली तरी औषधी वनस्पती लावली. एवढं झाल्यावर त्या हंसाला थोडं बरं वाटू
लागलं.
तेवढ्यात सिध्दार्थचा अंदाजे त्याच्याच वयाचा चुलतभाऊ
देवदत्त तेथे आला व म्हणाला, ‘’सिध्दार्था, या हंसाला बाण मारुन मी घायाळ
केले असल्याने, हा माझा आहे. तेव्हा त्याला माझ्या स्वाधीन कर.'’
सिध्दार्थ
म्हणाला, ‘’देवदत्ता, एखाद्याच्या जिवावर उठलेल्या माणसापेक्षा, त्याच्या
जिवाचं रक्षण करणाऱ्याचाच त्याच्यावर खरा अधिकार असतो. तू या हंसाच्या
जिवावर उठला होतास, पण मी याला वाचवले आहे, तेव्हा हा हंस आता माझाच
आहे..'’
अखेर देवदत्त हा सिध्दार्थच्या वडिलांकडे गेला व त्याने त्यांच्याकडे सिध्दार्था विरुध्द
तक्रार केली. महाराजांनी सिध्दार्थाला बोलावून घेतलं व त्याचं म्हणणंही
ऎकून घेतलं. त्यानंतर ते सिध्दार्थला म्हणाले, ‘’बाळ ! धर्मशास्त्राच्या
दृष्टीनं विचार करता, या हंसाचं रक्षण तू केलस म्हणून हा हंस तुझा आहे हे
खरं असलं, तरी क्षात्रधर्माचा विचार करता, एखाद्या क्षत्रियानं एखाद्या
प्राण्याची शिकार केली, की तो प्राणी पूर्ण मेलेला असो वा अर्धवट मेलेला
असो, तो त्या क्षत्रियाच्याच मालकीचा होता. या हंसाला देवदत्तानं घायाळ
केलं असल्याने हा त्याचाच ठरतो.'’
यावर तीक्ष्ण बुध्दीचा सिध्दार्थ
वडिलांना म्हणाला, ‘’महाराज ! क्षात्रधर्माच्या दृष्टीनं विचार केला, तरी
हा हंस माझ्याजवळच राहू देणे इष्ट ठरते. देवदत्तानं या हंसाला बाणानं
अर्धवट मारला असता ज्या अर्थी हा माझ्या पायाशी येऊन पडला, त्या अर्थी या
शरणागताला अभय देऊन याचं रक्षण करणं हे क्षत्रिय म्हणून माझं कर्तव्य नाही
काय ?'’
बाल सिध्दार्थाच्या या असामान्य बुध्दीतेजानं थक्क झालेले
त्याचे वडील म्हणाले, ‘’खरं सांगायचं, तर हा हंस नक्की कुणाचा, हे मलाच
कळेनासं झालं आहे. तेव्हा आपण हे प्रकरण आपल्या राज्याच्या न्यायमुर्तीकडे
नेऊ.'’
न्यायमुर्तीकडे हे प्रकरण जाताच त्यांनी त्या हंसाला एका
सेवकाला दिले, आणि तिथून परस्परविरुध्द दिशांना समान अंतरावर देवदत्त व
सिध्दार्थ यांना बसायला सांगून, त्या दोघांनाही त्या हंसाला आपल्याकडे
बोलवायला सांगितले.
प्रथम
देवदत्तानं टाळी वाजवून ‘ये,ये,’ म्हणत हात हालवून त्या हंसाला आपल्याकडे
बोलावलं, पण त्या हंसानं त्याच्याकडे ढुंकुनही बघितलं नाही. त्यानंतर
सिध्दार्थानं त्या हंसाला एकदाच ‘ये’ म्हणताच, तो जखमी हंस मोठया कष्टानं
उडत उडत त्याच्याकडे गेला व त्याला बिलगून बसला !
तो प्रकार पाहून
न्यायमुर्ती म्हणाले, ‘’हंस कुणाचा या प्रश्नाचं उत्तर आता प्रत्यक्ष या
हंसानंच दिलं असल्यानं, मी वेगळा निर्णय देण्याचा प्रश्नच उरत नाही.'’
https://www.goodreads.com/book/show/17095293-katha-gautam-buddhachi-ramesh-patange
Gautama
is the primary figure in Buddhism, and accounts of his life,
discourses, and monastic rules are believed by Buddhists to have been
summarized after his death and memorized by his followers. Various
collections of teachings attributed to him were passed down by oral
tradition, and first committed to writing about 400 years later.
Dhammapadam (Marathi language)
This is a translated of the ‘Dhammapadam’ into Marathi language, the language of Maharashtra State, India.
This eBook is written in ‘Devnagari’ Font and is in ‘PDF’ Format.
Translators: Ashok Tapase and Dhamma Sister, Harshada Tapase.
Mumbai, Maharashtra State, India.
E-Books - English : [569KB]
http://drambedkarbooks.com/2011/05/17/marathi-books-on-dr-ambedkar-buddha-free-download/
Please check out few Marathi Books on Dr B R Ambedkar and Buddha from here and here.
Books are published by Vinimay Publications and are available for
free download at the following links . You can also purchase hard copies
of the books from the Vinimay Publications.
Download Link http://www.vinimaypublications.com/download_books/08.%20Boudha%20pooja%20path.pdf
Download Link http://www.vinimaypublications.com/download_books/03.%20Buddhacha%20Mool%20siddhant.pdf
Introducing The Buddha and His Dhamma in various electronic formats.
Please download appropriate software for your devices to read the published versions.
Install free app ‘iBooks’ from iPad/iPhone App store.
English-BuddhaAndHisDhamma.ibooks & Marathi-BuddhaAndHisDhamma.ibooks can be opened in this app.
Install free app ‘iBooks’ from iPad/iPhone App store.
English-Buddha & His Dhamma.epub & Marathi-Buddha & His Dhamma.epub can be opened in this app.
60) Classical Marathi
60) शास्त्रीय मराठी
1497 पाठ 6515 बुधवारी
विनामूल्य ऑनलाइन eNālandā संशोधन आणि सराव विद्यापीठ
http://sarvajan.ambedkar.org
http://www.orgsites.com/oh/awakenedone/
1. बुद्ध
शास्त्रीय इंग्रजी, तमिळ
भगवान बुद्ध जीवन कथा
वर्षी 624 बीसी मध्ये, Kapilawaththu मध्ये (नेपाळ) सिद्धार्थ गौतम राजपुत्र म्हणून जन्म झाला. त्यांचे वडील राजा Suddhodana आणि त्याची आई राणी महामाया होता. सोळा होता तेव्हा त्याने आपल्या शिक्षण पूर्ण आणि तो प्रिन्सेस Yasodara लग्न. राजा Suddhodana त्याचा मुलगा सिद्धार्थ आपल्या राज्य दिले. ते बाळ नाव Rahula होते. राजा सिद्धार्थ 29 वर्षांचा झाला तेव्हा तो आडवा जीवन संन्यास घेणे निर्णय घेतला. सिद्धार्थ त्याचे राज्य डावीकडे आणि वास्तव अंतिम स्वरूप अभ्यास अनेक सुप्रसिद्ध शिक्षक गेला. पण त्यांच्या शिकवणीचा त्याला समाधान नाही आणि तो त्याच्या स्वत: चे मार्ग शोधण्यासाठी बाहेर सेट. सहा वर्षांनंतर तो Neranjana नदी जवळ Bodgaya गेला आणि झाडाखाली बसला.
सिद्धार्थ मन शांत आणि आरामशीर होते. तो बसला म्हणून त्याच्या एकाग्रता deepened त्याने आपल्या शहाणपणाचा उजळ वाढ झाली आहे. मन हे स्पष्ट आणि शांत राज्यात तो जीवन खरे स्वरूप परीक्षण सुरुवात केली. “दुःखाचे कारण काय आहे,” तो स्वत: ला विचारले, “आणि आनंद सार्वकालिक मार्ग काय आहे?” त्याच्या
मनात च्या डोळ्यात त्याने आतापर्यंत त्याच्या स्वत: च्या जगात पलीकडे,
आतापर्यंत त्याच्या स्वत: च्या देशातील पलीकडे पाहिले. लवकरच सूर्य, ग्रह, जागा बाहेर तारे आणि विश्वाची च्या दूरवरच्या आकाशगंगा आहेतच त्याच्या सर्व ध्यानात दर्शन दिले. तो धूळ लहान कण पासून सर्वात मोठी स्टार सर्वकाही, एक सतत बदलत नमुना एकत्र लिंक कसे पाहिले: खत आणि पुन्हा वाढत वाढत. सर्व काही संबंधित होते. काहीही कारण नसताना घडलं आणि प्रत्येक कारण इतर सर्व काही एक प्रभाव होता.
तो या गोष्टीची जाणीव म्हणून, सखोल सत्य आपल्या मनात दिसू लागले. तो
स्वत: मध्ये गंभीरपणे पाहिले आणि सिद्धार्थ म्हणून आपले जीवन प्रिन्स
सुरुवात नाही की जन्म मालिका नवीन होते पण शोधला - आणि त्याच हे सर्वांना
खरे होते. आम्ही पण पुन्हा पुन्हा, थेट, जन्म नाही एक वेळ मरणार आहेत. तो मृत्यू त्याची उपस्थित शरीरातून मन फक्त वेगळे पाहिले की. मृत्यूनंतर कर्मा महत्त्व पुढील प्रवास केंद्र आहे. एक जीवन समाप्त होताच, आणखी सुरु होते - आणि या प्रकारे मृत्यू आणि जन्म चाक सुमारे आणि सुमारे हातमाग ठेवते. तो आम्ही सतत बदलत आणि सतत एकमेकांना प्रभावित आहेत पुढील एक जीवन पाहिले. कधी कधी आम्ही श्रीमंत आणि आरामदायक आहेत; कधी कधी आम्ही गरीब आणि दयनीय आहे. कधीकधी आम्ही आनंद अनुभव, परंतु अधिक अनेकदा आम्ही समस्या स्वतः शोधू. आणि सिद्धार्थ आमच्या अटी बदलण्याची म्हणून, इतरांशी आमच्या संबंध करू पाहिले. आम्ही सर्व एकमेकांच्या मित्र आणि शत्रू, गेल्या हजारो वेळा यावर आई आणि वडील, मुलगा आणि मुलगी हजारो केले आहे.
मग तो जगातील दु: ख सर्व पाहिले. मग तो प्राणीमात्रांना त्यांच्या स्वत: च्या दु: खे आणि आनंद निर्माण कसे पाहिले. सत्य
अंध सर्व नेहमी चोरी, खोटे बोलणे आणि या गोष्टी त्यांना इच्छा चिरस्थायी
आनंद देऊ शकत नाही, तरी त्यांना पाहिजे त्या गोष्टी मिळवण्यासाठी कापा,
बदलत आहे, अशी. आणि अधिक त्यांची मने अधाशीपणाने व फसवणुकीच्या द्वेष सह भरा, अधिक ते एकमेकांना हानी - आणि स्वत:! प्रत्येक हानीकारक क्रिया अधिक आणि अधिक दुःख त्यांना ठरतो. ते अद्याप वेदना पण त्याला काहीही मिळत शांतीचा शोध आहेत. शेवटी त्याने हे सर्व दुःख मार्ग शोधला. तो एक तेजस्वी स्पष्ट प्रकाश भरले होते. तो यापुढे एक सामान्य व्यक्ती होते. एक शांत आणि शांत हास्य, त्याच्या ध्यान उठला. म्हटले आहे, त्यामुळे सोन्याची प्रभात मध्ये, सिद्धार्थ वर पाहिले आणि सकाळी तारा पाहिले. आणि मग एक खूप हुशार त्याच्याकडे आले. तो मनातल्या मनात जगातील आणि ग्रह सर्व जीवन पाहिले; सर्व गेल्या आणि भावी आहे. आपण या पृथ्वीवर येथे आहेत आणि आम्हाला काय निर्माण केले आहे का अस्तित्व अर्थ, समजले. शेवटी तो सत्य आढळले; तो साक्षात्कार अनुभवला आणि कर्मा तत्त्वे स्थापना केली. आता तो भगवान बुद्ध, पूर्णपणे मुक्तीचे एक जागृत ज्ञानी होते. सहा वर्षाच्या शोध संपविले. तो एक दिवस होता तेव्हा संपूर्ण शेतात एक तेजस्वी प्रकाश टाकताना चांदी पूर्ण चंद्र आच्छादन, Vesak (मे) महिन्यात एक दिवस.
गौतम बुद्ध
संस्थापक आकृती
तसेच सिद्धार्थ गौतम, Shakyamuni, किंवा फक्त बुद्ध म्हणून ओळखले
गौतम बुद्ध, बौद्ध संस्थेची स्थापना करण्यात आली ज्या शिकवण वर एक ऋषी होता
जन्म: Kapilavastu, नेपाळ
अध्याय सात मरण: कुशीनगरमध्ये
पूर्ण नाव: सिद्धार्थ गौतम
पती, पत्नी: राणी Yashodhara
पालक: राणी महा माया, Mahapajapati Gotami, राजा Śuddhodana
बौद्ध बुद्ध सुरुवात केली. येत अर्थाने ‘प्रत्यक्षात पर्यंत वेक चे भूतकाळी रुप’ - शब्द ‘बुद्ध’ ‘जागे आहे एक’ याचा अर्थ, शीर्षक आहे.
बुद्ध सुमारे 2,500 वर्षांपूर्वी Lumbini नेपाळ मध्ये सिद्धार्थ गौतम म्हणून जन्म झाला. तो देव किंवा संदेष्टा दावा केला नाही.
त्यांनी शक्य deepest जीवनाच्या समजून घेणे, becameAwakened जो मानवी होते.
सिद्धार्थ भारतीय-नेपाळी सीमेवर एक लहान राज्य रॉयल कुटुंबात जन्म झाला. पारंपारिक आख्यायिकेप्रमाणे तो होता
एक संधी संगोपन, पण जीवन वृद्ध, आजारपण, आणि मृत्यू असह्य तथ्य समावेश लक्षात त्याच्या sheltered जीवन बाहेर jolted होते.
हे जीवन अर्थ प्रती कोडे त्याला सूचित. अखेरीस तो आपला महाल सोडा आणि पारंपरिक Jambudipan मार्ग अनुसरण impelled वाटले
इकडे तिकडे पवित्र मनुष्य आहे, सत्य नंतर साधक. विविध शिक्षक अंतर्गत ध्यान खूप पटाईत झाले, आणि नंतर संन्यासी सवयी घेतला.
हा एक देह नाकारून आत्मा मुक्त शकते की विश्वास आधारित होती. त्यांनी निर्धारपूर्वक तो जवळजवळ मृत्यू उपासमार की तपोनिधी सराव केला.
बुद्ध शिकवण अनंत आहे, पण तरीही बुद्ध कधीही चूक न करणारा असल्याचे त्यांना घोषणा नाही. बुद्ध धर्म वेळा त्यानुसार बदल क्षमता, इतर धर्म आहेत दावा करू शकता जे एक दर्जेदार आहे …
आता बौद्ध आधार काय आहे? आपण काळजीपूर्वक अभ्यास केला तर, आपण बौद्ध कारण आधारित आहे दिसेल. कोणत्याही इतर धर्म मध्ये आढळली नाही आहे, तो मध्ये मूळचा लवचिकता, एक घटक आहे. - भीमराव रामजी आंबेडकर,
त्याच्या लेखी speeches.Please या देशाच्या संविधानात, एक महान विद्वान, विचारवंत आणि आर्किटेक्ट
Behan मायावती बुद्ध पौर्णिमेला भगवान बुद्ध करण्यासाठी खंडणी दिले
बहुजन समाज पक्ष (बसपा) प्रमुख मायावती खांबावर रविवारी बौद्ध अनुयायी
होता भीम राव आंबेडकर तिच्या दावा Buddh पूर्णिमा पूर्वसंध्येला निवडले.
ती गौतम Buddh नावाने बांधण्यात स्मारक आणि शैक्षणिक संस्थांमध्ये मिळत तिच्या मागील सरकारने कृत्ये ठळक. मायावती
तिच्या सरकारने नोएडा आणि ग्रेटर नोएडा, लखनौ या व्हीआयपी रस्त्यावर
नोएडा, गौतम बुद्ध विद्यापीठातील आणि बुद्ध शांती Upvan जसे स्मारकांचा
बांधकाम समावेश गौतम Buddh नगर निर्माण असल्याची खात्री करून घ्या कसे
सोडलं. तिने सरकारने पूर्व उत्तर प्रदेश पर्यटन आणि प्रवासी साठी बुद्ध सर्किट विकास असल्याची खात्री करून घ्या, असे ते म्हणाले.
पूर्वसंध्येला बुद्ध पौर्णिमा बहुजन समाज पक्षाचे (रविवार, 3 मे, 2015)
रोजी (बसपा) मुख्य Behan मायावती भगवान बुद्ध करण्यासाठी खंडणी दिले आणि
भगवान बुद्ध casteless समाजासाठी काम आणि त्याची शिकवण अद्याप वैध आहे.
Behan मायावती बुद्ध पौर्णिमेला भगवान बुद्ध करण्यासाठी खंडणी दिले
तो Behan मायावती भगवान बुद्ध आठवण झाली आहे की, पहिल्या टप्प्यात नाही, असे येथे आठवण करणे आवश्यक आहे. ती भगवान बुद्ध च्या कल्पना सतत काम करत आहेत, गौतम बुद्ध नगर, नोएडा स्थापना एक महत्वाची भूमिका बजावली आहे. Behan मायावती सरकार दरम्यान, ती भगवान बुद्ध नावावर अनेक स्मारक आणि शैक्षणिक संस्थांमध्ये केले. गौतम बुद्ध विद्यापीठातील अशा.
बौद्ध Monks सह Behan मायावती
आमच्या त्या पासून कोणीही अनुसूचित जाती / अनुसूचित जमाती-bahujans इतिहास उदा निर्माण Behan मायावती यांच्या भूमिका विसरू शकता. लखनौ येथे डॉ आंबेडकर पार्क. आम्ही
PRABUDDHA भारत बनवू इच्छित असल्यास, आम्ही शक्ती बहुजन समाज आवश्यकता
आहे, म्हणून मी बसपा समर्थन प्रत्येक विनंती आणि उपक्रम आहे. आम्ही शक्ती असेल आणि आम्ही आमच्या स्वतःच्या सरकार फक्त जेव्हा आम्ही आमच्या चिन्ह आणि आमच्या आलेले साठी काहीही करू शकता.
awakenmediaprabandhak
(मोदी) deadmocerytic संस्था खुनी bluffers कोण आहेत चोरी हिंदुत्वाच्या निष्ठा मालकीचे आहे:
तो म्हणतो:
कोणीतरी त्याच्या कानाला एक नखे दाबा जेव्हा भगवान बुद्ध मृत्यू झाला!
आहे
BuddhaHe च्या विनियोजन
नाही इतिहास, भूगोल माहीत किंवा कोणत्याही cicic अर्थाने आहे
या
देशातील जात प्रणाली 1, 2, 3, 4 था दर athmas (आत्मे) नाही आणि आत्मा येत
theUntouchables स्वत: चा धंदा आणि आजारी उपचार केले जाऊ शकते, तर बुद्ध
एखादा मध्ये neverbelieved. तो सर्व समान आहेत. त्यामुळे
डॉ आंबेडकर सुद्धा होते त्यांच्या मूळ घरी Buddhism.Kanshiram परत परत या
Jambudipa मध्ये wantedall आणि आता मायावती शांती, सर्व संस्था कल्याणासाठी
andhappiness, या traditionfor Sarvajan Hitaye Sarvajan Sukhaye म्हणजे
खालील आहे. जगातील
democraciesof सर्व 80 त्यानंतर म्हणून इलेक्ट्रॉनिक मतदान यंत्रांद्वारे
मतदान tobe मूर्ख माणूस पुरावा मतदान सुरू बदलले आहेत हे सर्व साध्य
करण्यासाठी फसवणूक. अशा वेळी पर्यंत या फसवणूक ईव्हीएम selectedthrough सर्व केंद्र व राज्य सरकारे रद्द करणे आवश्यक आहे. माजी
CJI Sathasivan theex वादग्रस्त संपत यांनी सुचवलेले म्हणून त्यांच्या
मूर्ख माणूस पुरावा मतदान प्रणाली replacingthem सहभागी खर्च (Rs1600 कोटी)
टप्प्यांमध्ये बदलले जाईल ऑर्डर करुन न्यायाच्या agrave चूक केली तर
सर्वोच्च न्यायालयाने या सर्व फसवणूक ईव्हीएम पुनर्स्थित hadordered . पुन्हा सर्वोच्च न्यायालयाने फसवणूक ईव्हीएम बदली orderfor आवश्यक आहे. अशा
वेळी पर्यंत जगातील deadmocreytic संस्था खून (मोदी), प्रथम 1% दहशतवादी,
errorist, दहशतवादी, कोणत्याही गतिविधी फसवणूक notrecognise होईल राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघाचे च्या Bahuth Jiyadha Paapis (भाजप) मास्टर KEYthrough
फसवणूक ईव्हीएम मिळवली हिंसक, चोरी हिंदुत्वाच्या cultchitpawan ब्राह्मण deadmocreytic
संस्था (मोदी) च्या खुनी, आता ते बौद्ध आणि बुद्ध जाणिवेतून जागे एक
successfullyrevived डॉ बाबासाहेब आंबेडकर grabbing सुरु मास्टर की कायम. तो फक्त एक सिद्धांत नसल्यामुळे काम करणार नाही जाणिवेतून theAwakened एक
सह वादन, पण अस्पृश्यता सराव आणि त्याच वेळी सवय कामावर बौद्ध येत केक
practice.Eating.
पहा करा:
http://www.pbs.org/thebuddha/
साठी
बुद्ध, डेव्हिड Grubin- 1:51:47 तास करून चित्रपट
रिचर्ड
गेर हा पुरस्कार-विजेता दिग्दर्शक डेव्हिड Grubin करून पीबीएस साठी
माहितीपट आणि सांगितले, बुद्ध जीवन कथा सांगते, हिंसक बदल आणि आध्यात्मिक
गोंधळ आमच्या स्वत: च्या bewildering वेळा विशेषत: संबंधित एक प्रवास. दोन
हजारो वर्षें ओलांडून, सौंदर्य आणि अवघडपणा श्रीमंत कला बुद्ध जीवन चित्रण
आहे जो जगातील महान कलाकार आणि शिल्पकारांचा, काही काम समाविष्टीत आहे. पुलित्झर पुरस्कार विजेत्या कवी WS समावेश, समकालीन बौद्ध प्राचीन गोष्ट अंतर्दृष्टीसह ऐका Merwin त्याच्या पवित्र दलाई लामा. संभाषणात सामील व्हा आणि ध्यान, बौद्ध इतिहास, आणि कसे दैनंदिन जीवनात
मध्ये अनुकंपा आणि अंमलबजावणीचे वर बुद्ध यांची शिकवण अंतर्भूत याबद्दल
अधिक जाणून घ्या.
Chandrasekharan Jagatheesan
अधिक आणि अधिक आंबेडकर आणि बुद्ध यांच्या पुतळे देश प्रत्येक रस्त्यावर स्थापित करणे आवश्यक आहे. प्रत्येक घरात आनंद, कल्याण आणि शांती साठी विहार अशा दुहेरी स्वरूपाचे मध्ये रूपांतरित करणे आवश्यक आहे.
http://www.tathagatpublications.com/shop/buddha-and-his-dhamma-by-dr-babasaheb-ambedkar-language-marathi/
for
http://www.omniglot.com/language/phrases/marathi.php
for
A collection of useful phrases in Marathi. You can see them in many other
languages by clicking on the English versions.
Key to abbreviations: m = said by men, f = said by female,
>m = said to men, >f = said to female
If you can help fill in the gaps on this page, please
contact me.
Recordings by Kaushik Lele of Learn Marathi
Download all the recordings (Zip file, 676K)
63) ਕਲਾਸੀਕਲ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ
63) ਪੰਜਾਬੀ
1497 ਸਬਕ 6515 ਬੁੱਧਵਾਰ
http://www.google.co.in/url?sa=t&rct=j&q=&esrc=s&source=web&cd=5&ved=0CDkQFjAE&url=http%3A%2F%2Fpunjabiuniversity.ac.in%2Fsyllabi%2FOld%2520Syllabi%2520%5BFor%2520Reference%2520and%2520Record%5D%2FAcademic%2520Session%25202010-11%2FM.A.%2520%2528Buddhist%2520Studies%2529%2520PART-I%2528Semester%2520I%2520%2526%2520II%2529.doc&ei=-3tJVbbsDdiLuATf14HABg&usg=AFQjCNF3Lp90_ix1YrD34fnqLCtuhYVnhg&sig2=cpZXOiBeEpubRLJtVjym3Q&bvm=bv.92291466,d.c2E
ORDINANCES
AND
OUTLINES OF TESTS,
SYLLABI AND COURSES OF READING
FOR
M.A. (BUDDHIST STUDIES) PART-I
(Semester-First & Second)
FOR
2010-2011 and 2011-2012 Sessions
ਸਾਲ ਦੇ 624 ਬੀ ਸੀ ਵਿਚ, Kapilawaththu ਵਿਚ (ਨੇਪਾਲ) ਸਿਧਾਰਥ ਗੌਤਮ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਰਦਾਰ ਦੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ. ਉਸ ਦੇ ਪਿਤਾ ਰਾਜਾ Suddhodana ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਮਾਤਾ ਰਾਣੀ Mahamaya ਸੀ ਸੀ. ਉਹ ਸੱਠ ਸੀ, ਜਦ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਿੱਖਿਆ ਖਤਮ ਹੋ ਅਤੇ ਉਹ ਰਾਜਕੁਮਾਰੀ ਨਾਲ ਵਿਆਹ Yasodara. ਰਾਜਾ Suddhodana ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਸਿਧਾਰਥ ਕਰਨ ਲਈ ਉਸ ਦੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਹਵਾਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ. ਉਹ ਇੱਕ ਬੱਚੇ ਦਾ ਨਾਮ Rahula ਸੀ. ਰਾਜੇ ਨੇ ਸਿਧਾਰਥ 29 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਦਾ ਸੀ, ਜਦ ਉਸ ਨੇ Lay ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਤਿਆਗਣ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ. ਸਿਧਾਰਥ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਦੇ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਅਸਲੀਅਤ ਦੇ ਅੰਤਿਮ ਸੁਭਾਅ ਨੂੰ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ਲਈ ਕਈ ਚੰਗੀ-ਜਾਣਿਆ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਚਲਾ ਗਿਆ. ਪਰ ਆਪਣੇ ਸਿੱਖਿਆ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਸੰਤੁਸ਼ਟ ਨਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਉਹ ਉਸ ਦੇ ਆਪਣੇ ਹੀ ਮਾਰਗ ਦਾ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਬਾਹਰ ਸੈੱਟ. ਛੇ ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਉਹ Neranjana ਨਦੀ ਦੇ ਨੇੜੇ Bodgaya ਨੂੰ ਚਲਾ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਇੱਕ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਬੈਠ ਗਿਆ.
ਸਿਧਾਰਥ ਦੇ ਮਨ ਚੈਨ ਅਤੇ ਨਿਸਚਿੰਤ ਸੀ. ਉਹ ਬੈਠਾ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਤੇ ਉਸ ਦੀ ਇਕਾਗਰਤਾ ਡੂੰਘਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਬੁੱਧ ਚਮਕਦਾਰ ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ. ਮਨ ਦੀ ਇਸ ਸਪੱਸ਼ਟ ਅਤੇ ਅਮਨ ਨੂੰ ਰਾਜ ਵਿਚ ਉਸ ਨੇ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਸੱਚਾ ਸੁਭਾਅ ਨੂੰ ਦਾ ਮੁਆਇਨਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ. “ਦੁੱਖ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕੀ,” ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ, “ਅਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਸਦਾ ਲਈ ਮਾਰਗ ਕੀ ਹੈ?” ਉਸ ਦੇ ਮਨ ਦੀ ਅੱਖ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਹੁਣ ਤੱਕ ਉਸ ਦੇ ਆਪਣੇ ਹੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਪਾਰ, ਦੂਰ ਉਸ ਦੇ ਆਪਣੇ ਹੀ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਪਾਰ ਸੀ. ਛੇਤੀ ਹੀ ਸੂਰਜ, ਗ੍ਰਹਿ, ਸਪੇਸ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰ ਤਾਰੇ ਅਤੇ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਦੇ ਦੂਰ ਦੇ ਮੰਡਲ ਸਾਰੇ ਉਸ ਦੇ ਸਿਮਰਨ ਵਿਚ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ. ਉਹ
ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਤੇ, ਡੂੰਘੇ ਸੱਚਾਈ ਉਸ ਦੇ ਮਨ ਨੂੰ ਦਿਖਾਈ. ਉਹ
ਫਿਰ ਉਸ ਨੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਦੁੱਖ ਦੇ ਸਾਰੇ ‘ਤੇ ਸੀ. ਅਤੇ ਉਹ ਰਹਿੰਦੇ ਜੀਵ ਆਪਣੇ ਹੀ ਦੁੱਖ ਅਤੇ ਖੁਸ਼ੀ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਵੇਖਿਆ ਸੀ. ਸੱਚ
ਜਨਮ: Kapilavastu, ਨੇਪਾਲ
ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਬੁੱਧ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ. ਹੋਣ ਦੇ ਭਾਵ ਵਿਚ ‘ਅਸਲੀਅਤ ਨੂੰ ਖੜਕਾਓਣ’ - ਸ਼ਬਦ ਦਾ ‘ਬੁੱਢਾ’ ‘ਜਾਗਦੇ ਹੈ ਉਹ ਇੱਕ ਜੋ’ ਜਿਸ ਦਾ ਮਤਲਬ ਹੈ, ਇੱਕ ਦਾ ਸਿਰਲੇਖ ਹੈ.
ਬੁੱਧ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ 2500 ਸਾਲ Lumbini ਨੇਪਾਲ ਵਿਚ ਸਿਧਾਰਥ ਗੌਤਮ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ. ਉਹ ਇੱਕ ਨੂੰ ਪਰਮੇਸ਼ੁਰ ਜ ਇੱਕ ਨਬੀ ਹੋਣ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਨਾ ਕੀਤਾ.
ਉਸ ਨੇ ਸੰਭਵ ਡੂੰਘੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣ, becameAwakened, ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ.
ਸਿਧਾਰਥ ਭਾਰਤੀ-ਨੇਪਾਲੀ ਸਰਹੱਦ ‘ਤੇ ਇਕ ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਰਾਜ ਦੇ ਸ਼ਾਹੀ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ. ਰਵਾਇਤੀ ਕਹਾਣੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਉਹ ਸੀ,
ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਅਧਿਕਾਰ ਪਰਵਰਿਸ਼ ਹੈ, ਪਰ ਜੀਵਨ ਦੀ ਉਮਰ ਦੀ ਉਮਰ, ਬੀਮਾਰੀ,
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਅਰਥ ‘ਤੇ ਫ਼ਿਕਰ ਕਰਨ ਲਈ ਉਸ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ. ਇਸ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਉਹ ਆਪਣੇ ਮਹਿਲ ਨੂੰ ਛੱਡ ਅਤੇ ਰਵਾਇਤੀ Jambudipan ਮਾਰਗ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ
ਭਟਕਦੇ ਪਵਿੱਤਰ ਆਦਮੀ ਨੂੰ, ਸੱਚ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਅਭਿਆਗਤ. ਉਸ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਹੇਠ ਸਿਮਰਨ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਾਹਰ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਅਤੇ ਫਿਰ ਜੋਗੀ ਅਮਲ ਨੂੰ ਲੈ ਲਿਆ.
ਇਹ ਇਕ ਸਰੀਰ ਦਾ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਕੇ ਆਤਮਾ ਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ‘ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਸੀ. ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਲਈ ਪੱਕਾ ਇਰਾਦਾ ਉਸ ਨੂੰ ਲਗਭਗ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੀ ਘਾਟ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਤਪੱਸਿਆ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕੀਤਾ.
ਬੁੱਧ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ, ਸਦੀਵੀ ਹਨ, ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਬੁੱਢਾ ਪਰਤਨ ਹੋਣ ਲਈ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਨਾ ਕੀਤਾ. ਬੁੱਧ ਦੇ ਧਰਮ ਵਾਰ ਅਨੁਸਾਰ ਤਬਦੀਲ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ, ਕੋਈ ਹੋਰ ਧਰਮ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਕਰ ਸਕਦੇ, ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਗੁਣਵੱਤਾ ਹੈ …
ਹੁਣ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਕੀ ਹੈ? ਤੁਹਾਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਹੈ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਕਾਰਨ ‘ਤੇ ਅਧਾਰਿਤ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਇਹ ਦੇਖਣ ਜਾਵੇਗਾ. ਕਿਸੇ ਵੀ ਹੋਰ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਨਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਇਸ ਨੂੰ ਕਰਵਾਉਣ ਲਚਕਤਾ, ਦਾ ਇੱਕ ਤੱਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. - ਭੀਮ ਰਾਮਜੀ ਅੰਬੇਦਕਰ,
ਉਸ ਦੇ ਲਿਖਣ ਅਤੇ speeches.Please ਵਿਚ ਇਸ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ, ਦਾ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਿਦਵਾਨ, ਦਾਰਸ਼ਨਿਕ ਅਤੇ ਆਰਕੀਟੈਕਟ Behan ਮਾਇਆਵਤੀ ਬੁੱਧ ਪੂਰਨਿਮਾ ‘ਤੇ, ਪ੍ਰਭੂ ਬੁੱਢਾ ਨੂੰ ਮਸੂਲ ਅਦਾ ਕੀਤਾ ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ (ਬਸਪਾ) ਮੁਖੀ ਮਾਇਆਵਤੀ ਨੇ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨੂੰ ਸੂਲ਼ੀ
http://en.wikipedia.org/wiki/Buddhism_in_Pakistan
for
Buddhism took root in Pakistan some 2,300 years ago under the Mauryan
king Asoka, “greater than any king or emperor.” Buddhism has a long history in the Pakistan region — over time being part of areas within Bactria, the Indo-Greek Kingdom, the Kushan Empire, Ancient India with the Maurya Empire of Ashoka, the Punjab region, and Indus River Valley cultures — areas now within the present day nation of Pakistan. Buddhist scholar Kumāralabdha (童受) of Taxila was comparable to Aryadeva, Aśvaghoṣa and Nagarjuna.
In 2012 the National Database and Registration Authority (NADRA)
indicated that the contemporary Buddhist population of Pakistan was
minuscule with 1,492 adult holders of national identity cards (CNICs).
The total population of Buddhists is therefore unlikely to be more than a
few thousand.
The majority of people in Gandhara, present day Southern Khyber Pakhtunkhwa province, were Buddhist. Gandhara was largely Mahayana Buddhist, but also a stronghold of Vajrayana Buddhism. The Swat
Valley, known in antiquity as Uddiyana, was a kingdom tributary to
Gandhara. There are many archaeological sites from the Buddhist era in
Swat.
Gandhara remained a largely Buddhist land until around 10th century CE, when Sultan Mahmud conquered the region and introduced Islam. There was settlement Muslims and the emigration of Buddhists.
Most Buddhists in Punjab, Khyber Pakhtunkhwa and Sindh where Buddhism was the faith practiced by the majority of the population of Sindh up to the Arab conquest by the Umayyad Caliphate in 710 CE. These regions became predominantly Muslim during the rule of Delhi Sultanate and later the Mughal Empire due to the missionary Sufi saints whose dargahs (shrines) dot the landscape of Pakistan and the rest of South Asia.
The Buddhist sage Padmasambhava is said to have been born in a village near the present day town of Chakdara in Lower Dir District, which was then a part of Oddiyana. Padmasambhava is known as Guru Rinpoche in Tibetan and it is he who introduced Vajrayana Buddhism in Tibet.
Buddhism was practiced in the Punjab region, with many Buddhist monastery and stupa sites in the Taxila World Heritage Site locale. It was also practiced in the Sindh regions
In March 2013, a group of around 20 Buddhist monks from South Korea
made the journey to the monastery of Takht-e-Bahi, 170 kilometres (106
miles) from Islamabad.
The monks defied appeals from Seoul to abandon their trip for safety
reasons and were guarded by Pakistani security forces on their visit to
the monastery, built of ochre-coloured stone and nestled on a
mountainside.From around 1,000 years BC until the seventh century AD,
northern Pakistan and parts of modern Afghanistan formed the Gandhara
kingdom, where Greek and Buddhist customs mixed to create what became
the Mahayana strand of the religion.The monk Marananta set out from what
is now northwest Pakistan to cross China and spread Buddhism on the
Korean peninsula during the fourth century. The authorities are even
planning package tours for visitors from China, Japan, Singapore and
South Korea, including trips to the Buddhist sites at Takht-e-Bahi,
Swat, Peshawar and Taxila, near Islamabad.[4]
Takht means “throne” and bahi, “water” or “spring” in Persian/Urdu.
The monastic complex was called Takht-i-Bahi because it was built atop a
hill and also adjacent to a stream. Located 80 kilometers from Peshawar
and 16 kilometers Northwest of the city of Mardan, Takht-I-Bahi was
unearthed in early 20th century and in 1980 it was included in the
UNESCO World Heritage list as the largest Buddhist remains in Gandhara,
along with the Sahr-i-Bahlol urban remains that date back to the same
period, located about a kilometer south.
Takht-i-Bahi is a great source of information on Buddhism and the way
of life people here used to follow. The village is built on the ruins
of the ancient town, the foundation walls of which are still in a
tolerably good formation. As a proof, that it was in the past occupied
by the Buddhists and Hindu races, coins of those periods are still found
at the site. the monks constructed it for their convenience. Spring
water was supplied to them on hill tops; living quarters for ventilators
for light and alcoves for oil lamps were made in the walls. From the
description of Song Yun, a Chinese pilgrim, it appears that it was on
one of the four great cities lying along the important commercial route
to India. It was a well-fortified town with four gates outside the
northern one, on the mound known as Chajaka Dehri which was a
magnificent temple containing beautiful stone images covered in gold
leaves. Not far from the rocky defile of Khaperdra did Ashoka build the
eastern gate of the town outside of which existed a stupa and a
sangharama. Excavations of the site have unearthed at Takht-i-Bahi may
include; the court of many Stupas, the monastery, the main stupa, the
assembly hall, the low-level chambers, the courtyard, the court of three
stupas, the wall of colossi and the secular building. In 1871, Sergeant
Wilcher found innumerable sculptures at Takht-i-Bahi. Some depicted
stories from the life of Buddha, while others more devotional in nature
included the Buddha and Bodhisattva. The Court of Stupas is surrounded
on three sides by open alcoves or chapels. The excavators were of the
view that originally they contained single plaster statues of Buddha
either sitting or standing, dedicated in memory of holy men or donated
by rich pilgrims. The monastery on the north, was probably a double
storied structure consisting of an open court, ringed with cells,
kitchens and a refectory.
The modern town of Taxila is 35 km from Islamabad. Most of the archaeological sites of Taxila (600 BC to 500 AD) are located around Taxila Museum.
For over one thousand years, Taxila remained famous as a centre of
learning Gandhara art of sculpture, architecture, education and Buddhism
in the days of Buddhist glory.[7]
There are over 50 archaeological sites scattered in a radius of 30 kms
around Taxila. Some of the most important sites are; Dhamarajika Stupa
and Monastery (300 BC - 200 AD), Bhir Mound (600-200 BC), Sirkap (200 BC
- 600 AD), Jandial Temple (c.250 BC) and Jaulian Monastery (200 - 600
AD).
A museum comprising various sections with rich archaeological finds of Taxila,
arranged in chronological order and properly labeled, has been
established close to the site. It is one of the best and well-maintained
site museums of Pakistan. Summer timings of the museum are from 8:30
a.m. to 5:30 p.m. with two hours break. Winter timings are from 9:00
a.m. to 4:00 p.m., without break. The museum remains closed on the first
Monday of every month and on Muslim religious holidays. Entry ticket
costs Rs.4 per person for museum and Rs.4 per person for archaeological
sites. PTDC has a Tourist Information Centre and a Motel with 7 rooms
and restaurant facility, just opposite the Museum. There is a Youth
Hostel nearby, offering accommodation for members of International Youth
Hostels Federation (IYHF).
Mingora is 3 kms away from Saidu Sharif, has yielded magnificent pieces of Buddhist sculpture and the ruins of great stupa.
Other beauty spots worth visiting are Marghzar, 13kms. from Saidu
Sharif, famous for its “Sufed Mahal” the white marble palace of the
former Wali (ruler) of Swat; Kabal, 16 kms. from Saidu Sharif with its
excellent golf course, Madyan, 55 kms. from Saidu Sharif, Bahrain,
Miandam and Kalam.
The Lush-green valley of Swat District
, with its rushing torrents, icy-cold lakes, fruit-laden orchards and
flower-decked slopes is ideal for holiday-makers intent on relaxation.
It has a rich historical past, too. “Udayana” (the “Garden”) of the
ancient Hindu epics; “the land of enthralling beauty” where Alexander of
Macedonia fought and won some of his major battles before crossing over
to the plains of Pakistan. The valley of the hanging chains” described
by the famous Chinese pilgrim-chroniclers, Huain Tsang and Fa-Hian in
the fifth and sixth centuries. Swat was once the cradle of Buddhism of
all its schools- Little Vehicle, Great Vehicle and the Esoteric sects
where once 1,400 monasteries flourished. It was the home of the famous
Gandhara School of Sculpture which was an expression of Graeco-Roman
form in the local Buddhism tradition.
However, the ruins of great Buddhist stupas, monasteries and statues are found all over Swat.
https://vangabodhi.wordpress.com/tag/buddhist-indian/
for
for
http://newlotus.buddhistdoor.com/en/news/d/18719
for
http://www.academia.edu/4687672/Buddhism_in_Bengal_A_Brief_Survey
for
http://www.buddhismreligiousminorities.org/present-day-buddhism-in-bangladesh/
for
http://www.thezensite.com/non_Zen/Was_Jesus_Buddhist.html
for
Was Jesus a Buddhist?
http://www.religionfacts.com/buddhism/history/hellenistic
for
http://www.ambedkartimes.com/buddha.htm
forhttp://www.communicaid.com/business-language-courses/punjabi/
for
http://www.omniglot.com/language/phrases/punjabi.php
for
A collection of useful phrases in Punjabi in the Gurmukhi
and Shahmukhi scripts, and transliterated. Click
on the English phrases to see them in many other languages.
Phrases in Shahmukhi provided by Muhammad Zubair (محمد
زبیر). Recordings by Asha.
Download all the audio files (Zip format, 620K)
If you would like to make any corrections or additions to this page, or if
you can provide recordings, please contact me.
http://www.kwintessential.co.uk/language/about/punjabi.html
for
বছর 624 খৃঃ পূঃ সালে Kapilawaththu মধ্যে (নেপাল) সিদ্ধার্থ গৌতম একটি প্রিন্স হিসাবে জন্মগ্রহণ করেন. তাঁর পিতা কিং Suddhodana এবং তার মা রানী মহামায়া ছিল. যখন তিনি ষোল তিনি পড়াশোনা শেষ করে তার তিনি রাজকুমারী Yasodara বিয়ে করেন. কিং Suddhodana তার ছেলে সিদ্ধার্থ তার রাজত্ব তুলে দেন. তারা একটি শিশুর নাম Rahula ছিল. রাজা সিদ্ধার্থ 29 বছর বয়সে তিনি Lay জীবন ত্যাগ করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে. সিদ্ধার্থ তার রাজত্ব থেকে বাম এবং বাস্তবতা চূড়ান্ত প্রকৃতি অধ্যয়ন বিভিন্ন সুপরিচিত শিক্ষক গিয়েছিলাম. কিন্তু তাদের শিক্ষা তাকে সন্তুষ্ট করা হয়নি এবং তিনি তার নিজের পথ খুঁজে সেট আউট. ছয় বছর পরে তিনি Neranjana নদীর কাছে Bodgaya গিয়েছিলাম এবং একটি গাছের তলায় বসে.
সিদ্ধার্থ মন শান্ত এবং স্বচ্ছন্দ ছিল. তিনি বসেছিলেন তার ঘনত্ব গভীর এবং তার জ্ঞান উজ্জ্বল হয়েছি. মনের এই পরিষ্কার এবং শান্তিপূর্ণ অবস্থায় তিনি জীবনের সত্যিকারের প্রকৃতি পরীক্ষা শুরু. “যন্ত্রণার কারণ কি,” তিনি নিজেকে জিজ্ঞাসা করলেন, “ও আনন্দ অনন্ত পথ কি?” তার মনের চোখে তিনি পর্যন্ত তার নিজের জগতে অতিক্রম পর্যন্ত তার নিজের দেশ অতিক্রম লাগছিল. শীঘ্রই সূর্য, গ্রহ, স্থান খুঁজে নক্ষত্র এবং মহাবিশ্বের দূরবর্তী ছায়াপথ সব তার ধ্যান তাঁকে দেখা দিলেন. তিনি
তিনি এই উপলব্ধি হিসাবে, গভীর সত্য তার মন হাজির. তিনি
সেই ব্যক্তি এই দুনিয়া কষ্ট সব দিকে তাকিয়ে. করেন জীবিত মানুষ তাদের নিজস্ব দুর্বিপাক এবং আনন্দ তৈরি দেখেছি কিভাবে. সত্য
জন্ম: Kapilavastu, নেপাল
বৌদ্ধ বুদ্ধ দিয়ে শুরু. থাকার অর্থে ‘বাস্তবতা আপ woken’ - শব্দ ‘বুদ্ধ’ ‘জাগ্রত যিনি এক’, যার মানে একটি শিরোনাম.
বুদ্ধ প্রায় 2,500 বছর আগে লুম্বিনি নেপালে সিদ্ধার্থ গৌতম হিসাবে জন্মগ্রহণ করেন. ইনি নিশ্চয়ই দেবতা বা একজন নবী বলে দাবী করা হয়নি.
তিনি সম্ভব গভীরতম ভাবে জীবন বুঝতে, becameAwakened যারা একটি মানুষের ছিল.
সিদ্ধার্থ ভারতীয়-নেপাল সীমান্তে একটি ছোট রাজ্যের রাজকীয় পরিবারে জন্মগ্রহণ করেন. প্রথাগত গল্প অনুযায়ী তিনি
একটি ছবি তৈরী লালনপালন, কিন্তু জীবন বৃদ্ধ বয়সে, অসুস্থতা, এবং
এই জীবনের অর্থ নিয়ে ধাঁধা তাকে অনুরোধ জানানো হবে. ঘটনাচক্রে তিনি তাঁর প্রাসাদ ছেড়ে এবং প্রথাগত Jambudipan পথ অনুসরণ তাড়িত অনুভূত
চরণ পবিত্র লোক, আর সত্য প্রকাশের পরে একটি অন্বেষী. তিনি বিভিন্ন শিক্ষক অধীনে ধ্যান খুব জ্ঞানী হয়ে ওঠে, এবং তারপর তপস্বী চর্চা গ্রহণ করেন.
এই এক দেহ আত্মত্যাগী দ্বারা আত্মা মুক্ত করতে পারে যে বিশ্বাসের উপর ভিত্তি করে ছিল. তিনি তাই determinedly, তিনি প্রায় মৃত্যুর অনাহারে কাটিয়েছিল যে তপস্যা.
বুদ্ধের শিক্ষা শাশ্বত হয়, কিন্তু তারপর বুদ্ধ অব্যর্থ হতে তাদের প্রচার করেননি. বুদ্ধ ধর্ম বার অনুযায়ী পরিবর্তন করার ক্ষমতা, অন্য কোন ধর্ম আছে দাবি করতে পারেন, যা একটি অতি উৎকৃষ্ট …
এখন বৌদ্ধ ভিত্তিতে কি? আপনি সাবধানে অধ্যয়ন করেন, তাহলে আপনি বৌদ্ধ কারণ উপর ভিত্তি করে দেখতে হবে. অন্য কোন ধর্ম পাওয়া যায় না তা সহজাত নমনীয়তা, একটি উপাদান আছে. - ভীমরাও রামজি আম্বেদকর,
তার লেখা এবং speeches.Please এই দেশের সংবিধান, একটি মহান পণ্ডিত, দার্শনিক এবং স্থপতি Behan মায়াবতী বুদ্ধ পূর্ণিমা উপর ভগবান বুদ্ধের প্রতি শ্রদ্ধা বহুজন সমাজ পার্টি (বিএসপি) প্রধান মায়াবতী পণ রোববার বৌদ্ধ অনুসারী
http://www.caluniv.ac.in/academic/arts_pali.htm
for
DEPARTMENT OF PALI
https://translate.google.com/
That will become a practice of Mediation as taught by the Buddha!
And become a Stream Enterer Sotapanna!
Towards Nibbana the Eternal Bliss as Final Goal!
DO NO EVIL !
ALWAYS DO GOOD !
BE MINDFUL !
EASY FOR A 7 YEARS OLD BOY TO UNDERSTAND BUT DIFFICULT FOR A 70 YEARS OLD MAN TO PRACTICE !
TIPITAKA is of 3 Baskets -
1) Basket of Discipline (Vinaya),
2) of Discourses (Sutta) &
3) of Ultimate Doctrine (Abhidhamma) Pitakas.
EDUCATE (BUDDHA)! MEDITATE (DHAMMA)! ORGANISE (SANGHA)!
WISDOM IS POWER
Awakened One Shows the Path to Attain Eternal Bliss
COMPUTER IS AN ENTERTAINMENT INSTRUMENT!
INTERNET!
IS
ENTERTAINMENT NET!
TO BE MOST APPROPRIATE!
Using such an instrument
The
Free e-Nālandā Research and Practice University has been re-organized
to function through the following Schools of Learning :
Buddha’s Sangha Practiced His Dhamma Free of cost, hence the Free- e-Nālandā Research and Practice University follows suit.
As the Original Nālandā University did not offer any Degree, so also the Free e-Nālandā Research and Practice University.
The
teachings of Buddha are eternal, but even then Buddha did not proclaim
them to be infallible. The religion of Buddha has the capacity to change
according to times, a quality which no other religion can claim to
have…Now what is the basis of Buddhism? If you study carefully, you will
see that Buddhism is based on reason. There is an element of
flexibility inherent in it, which is not found in any other religion. -
Bhimrao Ramji Ambedkar , Indian scholar, philosopher and architect of
Constitution of India, in his writing and speeches.
SYLLABUS/COURSE PROGRAM
I.
KAMMA
REBIRTH
AWAKEN-NESS
BUDDHA
THUS COME ONE
DHAMMA
II.
ARHAT
FOUR HOLY TRUTHS
EIGHTFOLD PATH
TWELVEFOLD CONDITIONED ARISING
BODHISATTVA
PARAMITA
SIX PARAMITAS
III.
SIX SPIRITUAL POWERS
SIX PATHS OF REBIRTH
TEN DHARMA REALMS
FIVE SKANDHAS
EIGHTEEN REALMS
FIVE MORAL PRECEPTS
IV.
MEDITATION
MINDFULNESS
FOUR APPLICATIONS OF MINDFULNESS
LOTUS POSTURE
SAMADHI
CHAN SCHOOL
FOUR JHANAS
FOUR FORMLESS REALMS
V.
FIVE TYPES OF BUDDHIST STUDY AND PRACTICE
MAHAYANA AND HINAYANA COMPARED
PURE LAND
BUDDHA RECITATION
EIGHT CONSCIOUSNESSES
ONE HUNDRED DHARMAS
EMPTINESS
VI.
DEMON
LINEAGE
with
Level I: Introduction to Buddhism
Level II: Buddhist Studies
TO ATTAIN
Level III: Stream-Enterer
Level IV: Once - Returner
Level V: Non-Returner
Level VI: Arhat
Jambudipa, i.e, PraBuddha Bharath’s scientific thought in
Mathematics,
Astronomy,
Alchemy,
and
Anatomy
Philosophy and Comparative Religions;
Historical Studies;
International Relations and Peace Studies;
Business Management in relation to Public Policy and Development Studies;
Languages and Literature;
and Ecology and Environmental Studies
With lots of Metta and kind regards
JC
Chandrasekharan Jagatheesan
RECTOR
FREE ONLINE eNālandā Research and Practice UNIVERSITY
http://sarvajan.ambedkar.org
http://www.orgsites.com/oh/awakenedone/
chandrasekhara.tipitaka@gmail.com